यूपी सरकार अपने पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रुख के लिए जनता की वाहवाही पाती रही है। लेकिन अब कुछ लोग उसकी इस छवि पर दाग लगाने कि कोशिश कर रहे हैं। इसमें लखनऊ में बैठे कथित पत्रकार और एक निगम के कुछ कर्मचारी और पूर्व अधिकारी शामिल हैं।जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार के एक मंत्री के कार्यालय में कांग्रेस की घुसपैठ हो गई है, और उससे जुड़े लोग लगातार यूपी सरकार को बदनाम करने की साजिश में जुटे हैं। इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रहे एक पत्रकार के रूप में कांग्रेस कार्यकर्ता ने यूपी सरकार के एक मंत्री के कार्यालय में निजी स्टाफ के जरिए घुसपैठ कर ली है।
इस पत्रकार को विधानसभा सचिवालय में मंत्री के कार्यालय में उनके निजी स्टाफ के साथ कभी भी देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि ये पत्रकार महोदय अपनी घुसपैठ के जरिए सरकार की योजनाओं की जानकारी जुटाते हैं। इसके बाद ये कथित पत्रकार उस जानकारी की मदद से ब्लैकमेलिंग के जरिए अपना निजी स्वार्थ साधते हैं, साथ ही योगी सरकार को बदनाम करने की उनकी कोशिशें भी लगातार जारी हैं।
बता दें कि कर्मचारी कल्याण निगम उत्तर प्रदेश सरकार का एक ऐसा उपक्रम है जो लगातार घाटे में चल रहा है। निगम के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं। वहीं जीएसटी की छूट न मिलने की वजह से कर्मचारी और उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐेसे में अधिकारियों की तरफ से किए जा रहे व्यवसाय के सकारात्मक प्रयासों को विफल करने की कोशिश कथित पत्रकार की तरफ से लगातार की जा रही है। इसके पीछे की वजह ये है कि किसी भी तरह कर्मचारी सड़क पर आ जाएँ और सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरें ताकि किसी तरह योगी सरकार को बदनाम किया जा सके. चर्चा है कि इस तरह पत्रकार और कल्याण निगम के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी सरकार विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं।आश्चर्य की बात ये है कि इन्हें यूपी सरकार में एक मंत्री के निजी स्टाफ की तरफ से पूरा सहयोग भी मिल रहा है।
बता दें कि हमने पहले भी उत्तर प्रदेश कर्मचारी कल्याण निगम में कर्मचारियों की परेशानियों को उठाया था। लेकिन उनकी परेशानियों को दूर करने के प्रयासों पर ऐसे पत्रकार, पूर्व अधिकारी और साथ ही मंत्री के निजी स्टाफ की कारगुजारियां पानी फेर रही हैं। उम्मीद है जल्द ही प्रशासन इस मामले में संज्ञान लेगा और भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके अपने कर्मचारियों की सुध लेगा…..
((उत्तर प्रदेश कर्मचारी कल्याण निगम के कर्मचारियों से बातचीत और कुछ विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर )