भले ही दीपावली के बारे में सबकुछ भगवान राम से संबंधित है मगर दीपावली की शाम को भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है लेकिन ऐसा क्यों है आइए जानते हैं।
रावण को मारकर जब भगवान राम सीता मैया और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों ने उनके सम्मान में घी के दीपक जलाएं जिसके बाद से आजतक ये परंपरा चली आ रही है।
इस दिन शाम को लोग गणेश लक्ष्मी की पूजा करते हैं क्योंकि गणेश जी बाधाओं को हर लेते हैं साथ ही वे बुद्धि के देवता भी हैं। कलियुग में रजोगुण के अधीन होकर या उसके प्रभाव से व्यक्ति के अंदर ऐश्वर्य ठाठबाट और राज पाठ की लालसा अधिक होती है।
जैसा कि श्रीमद्भागवत में भगवान ने कहा है कि त्रिगुणात्मक सृष्टि में यानी रज तम और सत गुण में से एक गुण की हर एक मनुष्य में अधिकता होती है जिससे हिसाब से ही उसका चरित्र निर्माण होता है और कलियुग में रजोगुण वालों की अधिकता होती है ऐसे में हर व्यक्ति लक्ष्मी की चाहत रखते हैं लेकिन अगर लक्ष्मी ऐसे व्यक्ति के हाथ में हो जिसमें बुद्धि और विवेक ना हो तो सारे धन और संपत्ति व्यर्थ ही हैं। इस लिए गणेश जी जो बुद्धि के देवता माने जाते हैं कि पूजा लक्ष्मी जी के साथ की जाती है। भगवान गणेश लक्ष्मी जी के मानस पुत्र भी हैं और लक्ष्मी जी बिना गणेश की पूजा के प्रसन्न नहीं होती हैं।
मां लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा जो दीपावली के 15 दिन पहले मनाया जाता है को हुआ है और उस दिन लक्ष्मी मां की विशेष पूजा अर्चना की जाती है जबकि दीपावली के दिन गणेश लक्ष्मी जी के साथ ही भगवान विष्णु मां काली और भगवान शंकर की पूजा एक साथ की जाती है।