लद्दाख : एक पर्यटन स्थल ऐसा, जो देखने में बिलकुल स्वर्ग जैसा

भारत के उत्तर में स्थित एक पर्यटन स्थल ऐसा भी है जो देखने में बिलकुल स्वर्ग जैसा है। जिसकी सुंदरता के बारे में सुनते ही आप घूमने के लिए निकल पड़ेंगे। यहां पर बर्फ से लदे पहाड़, सड़क के किनारे बहती नदियां , नीले झील इन नीले झीलों के पानी को देखकर ये कह पाना मुश्किल है कि कौन धरती है और कौन आसमान! क्योंकि यहां का पानी इतना साफ होता है कि, मानो आसमान धरती में उतर आया हो। यही नही यहां का पहनावा, रहन-सहन, सांस्कृतिक कल्चर और यहां कि शादियां जो कि बहुत ही अलग रीति-रिवाज और पारम्परिक ढंग से देखने को मिलेगा। चूंकि यह स्थल बोद्धों का धार्मिक स्थल हैं इसलिए यहां पर आपको ज्यादातर मठ नजर आएंगे। जो देखने में काफी आकर्षित हैं।

पर्यटकों के लिए यहां के खास बाजार

यहां के बाजारों में पर्यटकों के लिए हाथ से बने कई लोकप्रिय वस्तुएं और कपड़े खरीदारी करने को मिलेंगे। पश्मिना शॉल,स्टॉल, पश्मिना ऊनी वस्त्र, हाथों से बने ज्वैलरी और अलग-अलग डिजायन का ताला जैसे कि मछली के शेप में बना ताला, छोटे-छोटे गौतम बुद्ध कि मूर्तियां भी मिलेगी। जिसे देखकर सबकुछ खरीदने का जी ललचाएगा।

लद्दाख

बर्फिलें पहाड़ो के बीच धार्मिक स्थल शांति स्तूप

जिसके बारे में जानकारी सभी को होगी। क्योंकि ऐसा शांति स्तूप आपको राजगीर और गया में भी देखने को मिलेगा। लेकिन यहां कि बात अलग है क्योंकि इस बर्फिलें पहाड़ो के बीच ये शांति स्तूप देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। हालांकि इस शांति स्तूप का निर्माण जापानी बोद्धों ने दलाई लामा के आदेश पर कराया था। इसमें प्रवेश करने के लिए बहुत ही सारी सीढ़िया बनाई गई हैं। जैसे-जैसे आप यहां कि सीढ़ियों पर कदम बढ़ाएंगे। आपको हर कदम पर नया नज़ारा देखने को मिलेगा।

बोद्ध धर्म के गुरु दलाई लामा ने इस शांति स्तूप का उद्घाटन 1985 में कराया था। इसके अंदर बहुत ही शांति होती है, ऐसा लगता है जैसे कि सालों साल कि थकान दूर हो गई हो। सफेद रंग का ये गुंबद बाहर से ही नही अंदर से भी बहुत सुंदर है। स्‍तूप के अंदर दलाई लामा की तस्‍वीर लगी हुई है और बौद्ध की कुछ कलाकृतियां बनी हुईं हैं। इसके अंदर बौद्ध की मुख्‍य प्रतिमा धर्म का चक्र यानि धर्मचक्र चलाते हुए दिखाई देगी।

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जितनी सुंदर, उतनी ही खतरनाक है यहां कि मैगनेटिक हिल्स

एक ऐसा पहाड़ जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। हम बात कर रहें हैं मैगनेटिक हिल्स के बारे में, जो इन पहाड़ों में गजब कि चुम्बकीय शक्ति है। इस पहाड़ की चुंबकीय शक्ति से असमान में उड़ने वाले हवाई जहाज भी नही बच पाते हैं। यहां से हवाई जहाज जब भी गुजरते हैं तो हवाई-जहाज में कई झटके महसूस होने लगते हैं। यहां पर गाड़ियां भी बहुत तेजी से गुजरती हैं। आप अपनी गाड़ी को न्यूट्रल पर रखकर चेक कर सकते हैं।

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7 रंग बदलता हैं ये पैंगोंग झील

चांगला से पैंगोग झील की दूरी करीब 148 किलोमीटर है। पैंगोंग एक खारे पानी का झील है और ऐसा होना अजीब है, क्योंकि पहाड़ों पर पानी अक्सर मीठा ही होता है। दोनों ओर से सफ़ेद चोटियों वालें भूरे पहाड़ों से घिरे इस झील की सुन्दरता का क्या कहना? पानी इतना साफ होता है कि जब हम इसके अंदर गए, तो इसके अंदर मौजूद पत्थर बिल्कुल साफ-साफ दिखाई दे रहे थे।

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‘हॉल ऑफ फेम’ भारतीय सेना का संग्राहलय

इस संग्रहालय में आप देख सकते हैं कि कारगिल में उपयोग किए गए, विभिन्न प्रकार के हथियार देख सकते हैं। इसके साथ ही ग्लेशियर पर सेना पदों की तस्वीरें, सैनिकों के रहने वाले आवास और बर्फ पर सैनिकों की प्रशिक्षण प्रक्रिया कि भी तस्वीरें देखने को मिलेगी।

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नुबरा घाटी लेह लद्दाख की यात्रा का सबसे बड़ा रोमांच स्थल

यहां विश्व की सबसे ऊची सड़क पर यात्रा करने का आनंद उठाने के साथ ही रास्ते में बसे गांव, गरम जलधारा और मठो की सैर का भी आनंद प्राप्त कर सकते है। जो कि आप खुद देख सकते हैं। यहां कि घाटी का आनंद लेने के बाद जन्स्कर घाटी की ओर जाना न भूले। जहां कारगिल से आगे नुन और कुन की जुड़वा चोटिया है। यह लद्दाख की सबसे ऊंची चोटियां है। और आगे बढ़ने पर बर्फ की ऊंची-ऊंची चोटियां चारो ओर आकर्षित करने लगती है। यहां से जन्स्कर घाटी का एकमात्र ही प्रवेशद्वार है। जिसका नाम है पेंसी लॉ जो कि 14600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बता दें कि जन्स्कर सबसे ठंडे आबादी वाले स्थानों मे से एक है।

-तृप्ति रावत

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