दिल्ली और एनसीआर में आजकल प्रदूषण का स्तर दोबारा काफी भयावह रूप लेता जा रहा है।जिसके कारन दिल्लीवासियों को कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है वास्तव में दिल्ली व एनसीआर में पिछले कुछ सालों से प्रदूषण का स्तर वैसे ही कई गुना बढ़ा है। लगातार कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज के चलते और सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने की वजह से पर्यावरण में पहले से ही धूल मिट्टी काफी जमा होती रहती है। । सर्दियों की दस्तक की वजह से हवा की गति वैसे ही धीमी हो गई है और उसमें नमी आ जाती है। ऐसे में पर्यावरण में पसरा यह धुआं पहले से यहां मौजूद धूल, मिट्टी और खतरनाक गैसों के कणों के साथ मिलकर पर्यावरण में ही ठहर जाता है और इसका कॉकटेल एक घने स्मॉग का रूप धारण कर लेता है, जिसकी वजह से गंभीर हालात पैदा हो जाते हैं। आमतौर पर वातावरण में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा 60 क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, मगर दिल्ली एनसीआर में यह आमतौर पर इस सीमा से ज्यादा ही रहती है और स्मॉग की स्थिति के दौरान यह और भी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। जब यह प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, तो सीधे हेल्थ पर असर डालने लगता है वह हमारे आंखों को और लोगों का सांस लेना तक दूभर हो जाता है।
इसके अलावा ये आंखों को विशेष रूप से प्रदूषण नुकसान पहुंचा रहा है। सेंटर फॉर साइट के निदेशक डा. महिपाल सचदेव का कहना है कि दरअसल बढ़ते प्रदूषण के कारण आखों में जलन व संक्रमण काफी लोगों प्रभावित कर रहा है, आंखों की इस समस्या के कारण अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या ओपीडी में लगातार बढ़ती जा रही है। इस प्रदूषण भरे वातावरण एवं भागदौड़ की जिंदगी में लोगों द्वारा आंखों की देखभाल के प्रति लापरवाही बरती जाती है. आँखों का सफेद भाग एवं पलक का अन्दरूनी भाग कन्जकटीवा कहलाता है। आंख के इस भाग में जलन, लाली और सूजन होने को कन्जकटीवाईटिस या नेत्रशोथ कहते है।