उपेंद्र तिवारी।कुशीनगर। क्रिकेट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के नाम से वैसे तो तमाम रिकॉर्ड दर्ज हैं लेकिन कुशीनगर की नेहा और ज्योति से पहली बार दाढ़ी बनवाना निश्चित रूप से उनके लिए गर्व का पल रहा। सचिन तेंदुलकर ने ऐसा भारत में लिंग भेद वह सामाजिक कुरीतियों को तोड़ने के लिए किया। क्योकि खासकर इस पेशे में पुरुषों का वर्चस्व है। लेकिन कुशीनगर की दो सगी बहने बीमार पिता के इलाज से लेकर परिवार के जिम्मेदारियां सैलून चलाकर पूरी करती हैं
वैसे तो कुशीनगर की बेटियों ने खेल शिक्षा सहित तमाम क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया है। मगर जिले के बनवारी टोला गांव की नेहा और ज्योति ने बीमार पिता के इलाज के लिए 2014 में जिम्मेदारी संभालते हुए सैलून खोलने का फैसला किया। हालांकि इन के लिए यह सफर आसान नहीं था क्योंकि महिला हजाम से दाढ़ी बाल बनवाना लोगों को मेल नहीं खाता था। जिलेट इंडिया के विज्ञापन में इन दोनों सगी बहनों के प्रेरणादाई कहानी को उजागर किया गया। विज्ञापन के बाद यूट्यूब सहित सोशल मीडिया पर काफी चर्चा के बाद सचिन तेंदुलकर ने इन दोनों सगी बहनों से दाढ़ी बनवाने का फैसला किया। तेंदुलकर दाढ़ी बनवाने की फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर की। यही नही वहनेहा और ज्योति को जिलेट की तरफ से उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्कॉलरशिप भी दी। जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय कदम है।