
केंद्र सरकार की ओर से देश के कई बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा गया है। जिसके विरोध में बैंक हड़ताल का ऐलान किया गया है। ऐसे में अगर आप सोमवार यानि की आज और मंगलवार को बैंक जानें की सोच रहें हैं तो मत जाएं क्यूंकि आपको वहां एक बड़ा सा ताला लटका हुआ मिलेगा।
आपको बता दें SBI समेत देश के कई पीएसयू बैंक इस हड़ताल में शामिल हैं। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाॉइज एसोसिएशन के महासचिव सी एच वेंकटचलम की मानें तो करीब 10 लाख बैंक के कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं। इस हड़ताल का असर बैंकिग कामकाज पर देखने को मिल रहा है। लोग बैंक आ तो रहे हैं, लेकिन निराश होकर जा रहे हैं।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI, केनरा बैंक समेत कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को इस बारे में पहले ही जानकारी दे दी है।
दरअसल फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट का ऐलान करते समय कहा कि सरकार इस साल 2 सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है, जिसकी वजह से यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले 9 यूनियनों ने 15 और 16 मार्च को देश भर में हड़ताल करने की घोषणा की है।
आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार साल 2019 में ही LIC में IDBI Bank का मेजोरिटी हिस्सा बेच चुकी है। इसके साथ ही पिछले 4 सालों में 14 सार्वजनिक बैंकों का मर्जर किया जा चुका है।
बात करें अगर उत्तर प्रदेश की, तो राज्य के पूर्वांचल हिस्से में बैंकों की हड़ताल का सबसे बुरा असर पड़ रहा है। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि बैंक कर्मचारियों की हड़ताल से अरबों रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है, इसके साथ ही उपभोक्ता भी काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं।
फिलहाल जो जानकारी है, उसके मुताबिक तो ये हड़ताल महज दो दिनों की ही है, लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि इसे बढ़ाया भी जा सकता है। बैंक कर्मचारियों ने खुले तौर पर चेतावनी दी है कि वो तब तक अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।