रूपेश श्रीवास्तव। लंबे समय से प्रतीक्षित देश के सबसे बड़े मुकदमे के रूप में जाने जाने वाले अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई एक बार फिर से टल गई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में बनी एक नई बेंच आज 29 अक्टूबर से इस मामले की नियमित सुनवाई करने वाली थी, लेकिन इस केस की सुनवाई से पहले ही इस मुकदमे के पक्षकारों को निराश होना पड़ा है और कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल दिया है | जिसके कारण इस मुकदमे से जुड़े दोनों पक्षकारों में अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है | खासतौर पर हिंदू पक्षकारों ने कोर्ट के इस फैसले को लेकर चिंता जाहिर की है | फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे को लेकर स्पष्ट किया है कि अभी इस मामले की सुनवाई तत्काल नहीं की जा सकती |
इस मामले पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने सुनवाई टालने पर निराशा जताई है। शरद शर्मा ने कहा कि देश का हिंदू समाज संत धर्माचार्य लगातार इस प्रतीक्षा में है कि जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई शुरू हो और फैसला आये | हमें विश्वास है कि फैसला हमारे पक्ष में है अगर फैसला आ जाता तो हम राम मंदिर का निर्माण कर पाते | जिस तरह से आज तक कछुए की गति से इस मामले की सुनवाई की गई पहले ही बहुत वक्त बीत चुका है और एक बार फिर से इस मामले को टाल दिया गया है इससे हमें घोर निराशा है.हिन्दू पक्ष ने कहा कि अब सरकार को अध्यादेश लाकर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए वन्ही बाबरी मस्जिद के पैरोकार इक़बाल अंसारी ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऐतबार और वे फैसले का इंतजार करंगे और यही ने उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.