महिलाओं कि प्रैग्नेंसी में ध्यान रखने वाली ये 8 बातें

प्रैग्नेंसी के समय महिलाओं को अपनी सेहत और डाइट का खास-ख्याल रखना पड़ता है। प्रैग्नेंसी के समय में छोटी-सी गलती भी मां-शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। अक्सर शरीर में होने वाले बदलावों को प्रैग्नेंसी लक्षण समझ कर महिलाएं इग्नोर कर देती है लेकिन यह बेबी के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के संकेत भी हो सकते है। आज हम आपको ऐसे लक्षण बताने जा रहें है जिससे आप गर्भ में पल रहें बच्चे के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के बारे में जान सकती है।

गर्भ में बच्चे के अस्वस्थ होने के संकेत

  1. प्रैग्नेंसी के 8वें महीने में बच्चे का दिल धड़कना शुरू हो जाता है, जिसे डॉप्लर टेस्ट से पता लगाया जा सकता है। अगर दूसरी बार टेस्ट करवाने पर धड़कन का पता न चले तो समझे भ्रूण तनाव और कठिनाई में है।
  2. पेट के बढ़ने से गर्भाशय का पता चलता है। अगर पेट ज्यादा नहीं बढ़ रहा तो समझ जाए भ्रूण खराब हो चुका है। ऐसे में आपको तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए।
  3. प्रैग्नेंसी के 7-8 महीने में ब्लड टेस्ट का स्तर 5 एमआईयू/एमएल से कम होने पर गर्भपात या एक्टोपिक प्रैग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है।
  4. इस दौरान योनि से खून का स्त्राव होना बच्चे के असुरक्षित होने के संकेत होते है। इस स्थित में बच्चा समय से पहले हो सकता है।
  5. वैसे महिलाओं में योनि तरल पदार्थ का स्त्राव होना सामान्य है लेकिन स्राव के साथ दुर्गन्ध, खून या दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
  6. प्रैग्नेंसी के 18वें हफ्ते में बच्चा हलचल करने लगता है लेकिन ऐसा न होने पर तुरंत जांच करवाएं। क्योंकि यह भ्रूण की स्थित ठीक न होने का संकेत हो सकता है।
  7. प्रैग्नेंट होने के साथ ही महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते है, जिसमें ब्रेस्ट में भारीपन आना भी एक है। अचानक ब्रेस्ट आकार छोटा दिखने पर यह प्रैग्नेंसी रूकने के संकेत हो सकते है।
  8. इस दौरान मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव करना या न करना आम बात है लेकिन अचानक मॉर्निंग सिकनेस कम होना गर्भपात का संकेत होता है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

 

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